ये कोई आखरी मुकाम तो नहीं,
जिसे मुझे पाना था।
ज़िन्दगी में और मौके मिलेंगे,
जिसमे में सबसे ऊपर होऊंगा।
जैसे सोना तप कर और निखर जाता है
मैं भी मेहनत की अग्नि में तप कर और निखर जाऊंगा।
और कुछ हो ना हो,
इससे मैं हार कर भी जीतना सीख जाऊंगा।
आगे आने वाले पायदानों पर,
मैं ही मैं नजर आऊँगा।